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नवरात्री पूजा

माता के भक्तों के लिए नवरात्री का समय भक्ति, उमंग, उत्साह का होता है जिसमें 9 दिनों तक माता की पूजा करके माता के श्री चरणों में अपनी आस्था प्रकट की जाती है | नवरात्री का हिंदी में अर्थ होता है नौ रातें | इन नौ रातों को माता भगवती के 9 रूपों की 9 दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और जीवन की मंगल कामना की जाती है | यह नवरात्री पूजा के 9 दिन बेहद खास होते है इसलिए जो भक्त विधि विधान से माँ की आराधना करता है माँ उसके सभी दुखों को हर लेती है | भारतीय कैलेण्डर के अनुसार नवरात्री वर्ष में 4 महीने चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने में आती है | इन 4 नवरात्री पूजा में से चैत्र और आश्विन नवरात्री पूजा मुख्य रूप से की जाती है | आश्विन नवरात्री कब से चालू है 

नवरात्री पूजा के लिए सामग्री 

माँ दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा या फोटो एक कलश एक मिट्टी का बर्तन ज्वार बोने के लिए माता के आसन के लिए चौकी, दूध, दही, घी, शहद, जल, गंगाजल, पंचामृत, उपवस्त्र, नारियल, फूल, फूलमाला, वस्त्र, चन्दन, रोली, कलावा, अक्षत, जयमाला, धुप, दीप, नेवैध्य, ऋतुफल, पान, सुपारी, पूजन पात्र  आरती, कलश, इलाइची, 

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शारदीय नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त

इस बार शारदीय नवरात्री के दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त दिनाँक 26 सितम्बर को सुबह द्विस्वभाव लग्न 6 बजकर 21 मिनिट से 7 बजकर 55 मिनिट तक रहेगा | और अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनिट से 12 बजकर 42 मिनिट तक का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा | 

नवरात्री पर घटस्थापना और माता की स्थापना विधि 

- सबसे पहले व्यक्ति सुबह उठकर नहा लें और साफ़ कपडे पहन लें |  - जिस स्थान पर पूजा करनी हो उस स्थान को अच्छे पानी से धोकर साफ़ कर लें |  - अब चौकी पर गंगाजल छिड़ककर एक साफ़ धुला हुआ कपडा बिछाकर उस पर मंडल बनाएं |  - चौकी पर माता की मूर्ति या मात्रा की फोटो की स्थापना करें |  - अब चौकी के बगल में मिटटी के बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें ज्वार बो दें |  - चौकी के बगल में ही एक मिट्टी, सोने, चांदी या ताम्बे  का कलश रख कर उस पर एक नारियल रख दें | - नारियल को कलश पर रखने से पहले उसके चारों ओर मोली का धागा बांध दें |

नवरात्री की पूजन विधि 

नवरात्री पर माता के पूजन के लिए कुछ खास पद्धतियां है और उनके अनुसार माता का पूजन करने पर आपको आशीर्वाद मिलता है | आइये जानते है की आपको नवरात्री का पूजन किस तरह करना है –  पूजन को अग्नि देवता की साक्षी में करने का विशेष महत्व है इसलिए पूजन की शुरुआत में एक दीपक में घी भरकर दीपक प्रज्वल्लित करें |  किसी भी भगवान या देवता के पूजन में सबस पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है | इसलिए सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान करते हुए उनका रोली से तिलक लगाएं और मौली अर्पित कर उनका पूजन करें |  इसके बाद माता को सबसे पहले आह्वान करें |  माता को शुद्ध जल से स्नान करवाएं फिर पंचामृत से स्नान करवाएं फिर एक  बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं |  माता को वस्त्र अर्पित करें इसके लिए माता की फोटो या मूर्ति पर मोली चढ़ाएं |  माता को तिलक लगाएं और माता को गंध अर्पित करें |  माता को पुष्प अर्पित करें और माला सुगन्धित पुष्प माला पहनाएं |  नैवेद्य अर्पित करें | इसके पश्चात् माता के आगे धुप और दीपक से पूजा करें |  अंत में पुष्पाजंलि करें और माता को नमन करें , और पूजा में यदि कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना करें |  अब परिवार जन सहित  माता की आरती गाएं |  अब माता के घर में बने व्यंजनों का भोग लगाएं और सभी को प्रसाद बाँटें |  9 दिन तक इसी प्रकार पूजन करें और अंत के दिन पूजन के पश्चात् माता के भोग लगाएं और 10 साल से कम उम्र की 9 कन्याओं को भोजन करवाएं |  उन कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें |